यम (Yama): यम योग की पहली अंग हैं और इसमें सामाजिक और नैतिक नियम शामिल हैं। ये अहिंसा (अहिंसा), सत्य (सत्य), अस्तेय (अद्वाराप्राप्ति), ब्रह्मचर्य (ब्रह्मचर्य), और अपरिग्रह (अपरिग्रह) हैं।
नियम (Niyama): नियम योग की दूसरी अंग हैं और इसमें व्यक्तिगत और आध्यात्मिक नियम शामिल हैं। इसमें शौच (शरीरिक और मानसिक शुद्धि), संतोष (संतुष्टि), तप (तपस्या), स्वाध्याय (आत्म-समर्पण और अध्ययन), और ईश्वरप्रणिधान (ईश्वर के प्रति आत्मसमर्पण) शामिल हैं।
आसन (Asana): आसन योग की तीसरी अंग हैं और इसमें शारीरिक और मानसिक आस्था और स्थिरता को बढ़ाने के लिए विभिन्न शारीरिक पोज़ शामिल हैं।
प्राणायाम (Pranayama): प्राणायाम योग की चौथी अंग हैं और इसमें श्वासयात्राओं के नियंत्रण के माध्यम से ऊर्जा का वितरण किया जाता है।
प्रत्याहार (Pratyahara): प्रत्याहार योग की पांचवीं अंग हैं और इसमें इंद्रियों के बाह्य विषयों से विचलन का नियंत्रण किया जाता है।
धारणा (Dharana): धारणा योग की छठी अंग हैं और इसमें मन की एकाग्रता और ध्यान की प्रक्रिया होती है।
ध्यान (Dhyana): ध्यान योग की सातवीं अंग हैं और इसमें मन की स्थिति को स्थिर रखने के लिए ध्यान की प्रक्रिया होती है।
समाधि (Samadhi): समाधि योग की आठवीं और अंतिम अंग हैं और इसमें स्वयं की पूर्णता और अध्यात्मिक एकाग्रता का अनुभव होता है।
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अष्टांग योग